नई दिल्ली। जिन लोगों, कंपनियों या फर्म्स ने 50 करोड़ और उससे अधिक का लोन लिया है, सरकारी बैंक उनके पासपोर्ट की डीटेल मांग सकते हैं ताकि डिफॉल्ट या किसी गड़बड़ी के बाद वे देश से न भाग सकें। एक बड़े सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वित्त मंत्रालय सरकारी बैंकों को यह निर्देश दे सकता है। इससे पहले कैबिनेट ने भगोड़ा आर्थिक अपराध बिल को मंजूरी दी थी, जिसमें आर्थिक अपराध करके भागने वाले शख्स की पूरी संपत्ति जब्त करने की बात कही गई है। इस बिल को संसद के मौजूदा सत्र में पेश किया जा सकता है।
अधिकारी ने बताया, हम बैंकों, जांच एजेंसियों और दूसरे सरकारी विभागों के बीच बेहतर तालमेल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अगर किसी लोन अकाउंट में बैंक को गड़बड़ी की आशंका दिखती है तो वे उसकी जानकारी पहले ही जांच एजेंसियों को दे सकते हैं। सरकार का मानना है कि इससे फर्जीवाड़ा रोकने में मदद मिलेगी और अपराधी बैंक और जांच एजेंसियों से बचने के लिए देश से फरार नहीं हो पाएंगे। जूलर्स नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चोकसी 12,622 करोड़ रुपये के कथित पीएनबी फ्रॉड में मुख्य आरोपी हैं। फ्रॉड की खबर सार्वजनिक होने से पहले ही दोनों देश से भाग गए थे।
सरकार दिवालिया कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या को भी लोन डिफॉल्ट के मामले में ब्रिटेन से देश लाने की कोशिश कर रही है, जिसमें अभी तक उसे सफलता नहीं मिली है। माल्या से मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर भी पूछताछ की जानी है। पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी को भी देश लाने की कोशिश की जा रही है। इन सभी आरोपियों ने दावा किया है कि उन्होंने कोई गलती नहीं की है।
सरकारी अधिकारी ने बताया कि पासपोर्ट डीटेल होने से ऐसे लोग देश से भागने की कोशिश नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, हम पहले ही विलफुल डिफॉल्टर की पहचान के लिए कई कदम उठा चुके हैं। पासपोर्ट की कॉपी मांगने से प्रमोटरों पर और दबाव बढ़ेगा। उन्हें पता होगा कि देश से भागने की कोशिश करने पर उन्हें एयरपोर्ट पर रोका जा सकता है। पिछले हफ्ते वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों को 50 करोड़ से अधिक के नॉन-परफॉर्मिंग लोन के सभी मामलों में किसी गड़बड़ी का पता लगाने को कहा था। वित्त मंत्रालय ने बैंकों से कहा है कि अगर उन्हें किसी गड़बड़ी का पता चलता है तो वे इसकी जानकारी सीबीआई, ईडी और डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) को दें।